आटिज़्म क्या है?
आटिज़्म, जिसे भारतीय संदर्भ में “ऑटिज्म” कहा जाता है, एक विकासात्मक विकार है जो एक व्यक्ति के सामाजिक संबंधों, संचार और व्यवहार को प्रभावित करता है। यह विकार आमतौर पर बचपन में ही प्रकट होता है।
आटिज़्म के लक्षण
आटिज़्म के लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न होते हैं, लेकिन आमतौर पर इनमें शामिल होते हैं:
- सामाजिक संज्ञान की कमी
- अवाक संचार की समस्या
- एकरस व्यवहारों का प्रदर्शन
- फिक्सेशन या रूटीन का पालन
आटिज़्म का कारण
आटिज़्म के कारण निश्चित नहीं हैं, लेकिन शोध से यह पता चला है कि:
- आनुवांशिक कारक
- पर्यावरणीय कारक
- मस्तिष्क की संरचना में असमानता
आटिज़्म के प्रकार
आटिज़्म को तीन श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है:
- क्लासिक ऑटिज़्म (क्लासिकल ऑटिज़्म)
- असपरगर सिंड्रोम
- विकासात्मक अवधारणात्मक विकार
आटिज़्म के सांख्यिकी आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 1 में से 160 लोग आटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार से प्रभावित होते हैं। भारत में, यह संख्या लगभग 1.5% तक हो सकती है, जो लगभग 18.5 मिलियन लोग हो सकते हैं।
आटिज़्म के साथ जीवन जीना
आटिज़्म से प्रभावित व्यक्तियों की मदद करने के लिए विभिन्न उपाय हैं। शिक्षा और सामाजिक समर्थन से वे अपनी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। उदाहरण के लिए:
- विशेष शिक्षा कार्यक्रम
- व्यवहारिक चिकित्सा
- समर्थन समूह
केस अध्ययन
नीना, एक 10 वर्षीय लड़की, जिनका निदान आटिज़्म के साथ हुआ, को विशेष विद्यालय में प्रवेश दिया गया। उनकी माता ने सुधार की दिशा में सकारात्मक बदलाव देखा। नीना ने सामाजिक कार्यशालाओं में भाग लिया, जहां उसने संवाद कौशल सीखे। उसकी कहानी यह दर्शाती है कि समर्थित प्रणाली में सही दिशा में कदम उठाने से बड़े बदलाव आ सकते हैं।
निष्कर्ष
आटिज़्म एक चुनौतीपूर्ण विकार है, लेकिन उचित समर्थन और शिक्षा से प्रभावित व्यक्तियों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद की जा सकती है। जागरूकता और समर्पण इस क्षेत्र में बदलाव लाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।